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अमेरिका: कोरोना टेस्ट में मारामारी, बाइडन ने भी मानी सुविधाओं में कमी की बात

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वाशिंगटन
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Wed, 29 Dec 2021 08:06 PM IST

सार

राष्ट्रपति जो बाइडन ने सोमवार को राज्यों के गवर्नरों के साथ बैठक में स्वीकार किया था कि प्रशासन को रैपिट टेस्टिंग किट मुहैया कराने के लिए अधिक तेज गति से कदम उठाने चाहिए थे। इसके पहले बाइडन ने एलान किया था कि अगले जनवरी में 50 करोड़ होम टेस्ट किट उपलब्ध कराए जाएंगे…

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अमेरिका को कोविड-19 के टेस्ट किट की कमी का सामना करना पड़ रहा है। जो बाइडन प्रशासन ने दावा किया था कि महामारी के नए दौर में सबको अपने घर पर ही टेस्ट करने के किट उपलब्ध कराई जाएंगी। लेकिन अब प्रशासन ने स्वीकार किया है कि वायरस का संक्रमण उनके अनुमान की तुलना में कहीं ज्यादा तेजी से फैल रहा है।

50 करोड़ होम टेस्ट किट उपलब्ध होंगे

हकीकत यह है कि जिन लोगों में कोविड-19 के लक्षण हैं, कई शहरों में उन्हें अकसर टेस्ट कराने के लिए घंटों कतार में खड़ा रहना पड़ रहा है। राष्ट्रपति जो बाइडन ने सोमवार को राज्यों के गवर्नरों के साथ बैठक में स्वीकार किया था कि प्रशासन को रैपिट टेस्टिंग किट मुहैया कराने के लिए अधिक तेज गति से कदम उठाने चाहिए थे। इसके पहले बाइडन ने एलान किया था कि अगले जनवरी में 50 करोड़ होम टेस्ट किट उपलब्ध कराए जाएंगे। टीवी चैनल एबीसी को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा- ‘मेरी घोषणा पर्याप्त साबित नहीं हुई है। अगर हमें पता होता, तो हमने इसके लिए अधिक तेज गति से कदम उठाए होते।’

पर्यवेक्षकों का कहना है कि हालांकि ऐसे राष्ट्रपति के ऐसे बयानों से उनकी साफगोई का संकेत मिलता है, लेकिन इनसे आम जन का भरोसा बहाल करने में कोई मदद नहीं मिलेगी। इन बयानों से यह संकेत मिलता है कि प्रशासन वायरस के प्रसार की गति का अंदाजा लगाने में नाकाम रहा है। ऐसा पहली बार नहीं है, जब व्हाइट हाउस की नौकरशाही हालत की मांग के मुताबिक जरूरी तेजी से कदम उठाने में विफल रही है।

टीवी चैनल सीएनएन की एक रिपोर्ट के मुताबिक कोविड टेस्ट को लेकर भ्रम की स्थिति इतनी गहरी है कि उससे स्वास्थ्यकर्मी भी नाराज हैं। अमेरिकन कॉलेज ऑफ प्रिवेंटिव मेडिसिन में फेलॉ डॉ क्रिस पेरनेल ने कहा- ‘यह शर्मनाक है कि हमारे पास पर्याप्त संख्या टेस्ट करने की सुविधा नहीं है। जबकि इस संक्रमण पर प्रभावी नियंत्रण के लिए मांग के मुताबिक टेस्ट करना अनिवार्य है।’

अस्पतालों में कम भर्ती कराने की नौबत

कोविड टेस्ट में ये समस्या उस समय पैदा हुई है, जब अमेरिका में रोज कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वैरिएंट से नए संक्रमण के औसतन दो लाख से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। कुछ विशेषज्ञों के मुताबिक मुमकिन है कि जल्द ही रोजाना पांच लाख तक नए मामले सामने आने लगें। हालांकि अच्छी बात यह है कि नए ओमिक्रॉन वैरिएंट से संक्रमित लोगों में से बहुत को कम को अस्पताल में भर्ती कराने की नौबत आ रही है, इसके बावजूद अंदेशा यह है कि संक्रमण मौजूदा गति से ही फैलता रहा, तब उससे भी चिकित्सा व्यवस्था गहरे दबाव में आ जाएगी। अधिक चिंता की बात यह है कि अमेरिका के कई हिस्सों में अभी भी कोरोना वायरस के डेल्टा वैरिएंट से लोग संक्रमित हो रहे हैं।

जो बाइडन प्रशासन के कोरोना महामारी संबंधी सलाहकार डॉ एंथनी फाउची ने स्वीकार किया है कि विशेषज्ञ महीनों से टेस्टिंग सुविधाएं बढ़ाने के लिए आगाह कर रहे थे, जिस पर उचित ध्यान नहीं दिया गया। उधर कुछ दूसरे विशेषज्ञों का कहना है कि होम टेस्ट क्लीनिक में होने वाले टेस्ट का विकल्प नहीं हैं। होम टेस्ट के नतीजों की पुष्टि क्लीनिक में होने वाले टेस्ट से कराने की जरूरत बनी रहेगी।

विस्तार

अमेरिका को कोविड-19 के टेस्ट किट की कमी का सामना करना पड़ रहा है। जो बाइडन प्रशासन ने दावा किया था कि महामारी के नए दौर में सबको अपने घर पर ही टेस्ट करने के किट उपलब्ध कराई जाएंगी। लेकिन अब प्रशासन ने स्वीकार किया है कि वायरस का संक्रमण उनके अनुमान की तुलना में कहीं ज्यादा तेजी से फैल रहा है।

50 करोड़ होम टेस्ट किट उपलब्ध होंगे

हकीकत यह है कि जिन लोगों में कोविड-19 के लक्षण हैं, कई शहरों में उन्हें अकसर टेस्ट कराने के लिए घंटों कतार में खड़ा रहना पड़ रहा है। राष्ट्रपति जो बाइडन ने सोमवार को राज्यों के गवर्नरों के साथ बैठक में स्वीकार किया था कि प्रशासन को रैपिट टेस्टिंग किट मुहैया कराने के लिए अधिक तेज गति से कदम उठाने चाहिए थे। इसके पहले बाइडन ने एलान किया था कि अगले जनवरी में 50 करोड़ होम टेस्ट किट उपलब्ध कराए जाएंगे। टीवी चैनल एबीसी को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा- ‘मेरी घोषणा पर्याप्त साबित नहीं हुई है। अगर हमें पता होता, तो हमने इसके लिए अधिक तेज गति से कदम उठाए होते।’

पर्यवेक्षकों का कहना है कि हालांकि ऐसे राष्ट्रपति के ऐसे बयानों से उनकी साफगोई का संकेत मिलता है, लेकिन इनसे आम जन का भरोसा बहाल करने में कोई मदद नहीं मिलेगी। इन बयानों से यह संकेत मिलता है कि प्रशासन वायरस के प्रसार की गति का अंदाजा लगाने में नाकाम रहा है। ऐसा पहली बार नहीं है, जब व्हाइट हाउस की नौकरशाही हालत की मांग के मुताबिक जरूरी तेजी से कदम उठाने में विफल रही है।

टीवी चैनल सीएनएन की एक रिपोर्ट के मुताबिक कोविड टेस्ट को लेकर भ्रम की स्थिति इतनी गहरी है कि उससे स्वास्थ्यकर्मी भी नाराज हैं। अमेरिकन कॉलेज ऑफ प्रिवेंटिव मेडिसिन में फेलॉ डॉ क्रिस पेरनेल ने कहा- ‘यह शर्मनाक है कि हमारे पास पर्याप्त संख्या टेस्ट करने की सुविधा नहीं है। जबकि इस संक्रमण पर प्रभावी नियंत्रण के लिए मांग के मुताबिक टेस्ट करना अनिवार्य है।’

अस्पतालों में कम भर्ती कराने की नौबत

कोविड टेस्ट में ये समस्या उस समय पैदा हुई है, जब अमेरिका में रोज कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वैरिएंट से नए संक्रमण के औसतन दो लाख से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। कुछ विशेषज्ञों के मुताबिक मुमकिन है कि जल्द ही रोजाना पांच लाख तक नए मामले सामने आने लगें। हालांकि अच्छी बात यह है कि नए ओमिक्रॉन वैरिएंट से संक्रमित लोगों में से बहुत को कम को अस्पताल में भर्ती कराने की नौबत आ रही है, इसके बावजूद अंदेशा यह है कि संक्रमण मौजूदा गति से ही फैलता रहा, तब उससे भी चिकित्सा व्यवस्था गहरे दबाव में आ जाएगी। अधिक चिंता की बात यह है कि अमेरिका के कई हिस्सों में अभी भी कोरोना वायरस के डेल्टा वैरिएंट से लोग संक्रमित हो रहे हैं।

जो बाइडन प्रशासन के कोरोना महामारी संबंधी सलाहकार डॉ एंथनी फाउची ने स्वीकार किया है कि विशेषज्ञ महीनों से टेस्टिंग सुविधाएं बढ़ाने के लिए आगाह कर रहे थे, जिस पर उचित ध्यान नहीं दिया गया। उधर कुछ दूसरे विशेषज्ञों का कहना है कि होम टेस्ट क्लीनिक में होने वाले टेस्ट का विकल्प नहीं हैं। होम टेस्ट के नतीजों की पुष्टि क्लीनिक में होने वाले टेस्ट से कराने की जरूरत बनी रहेगी।

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