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Nuclear Installations: भारत और पाकिस्तान ने एक-दूसरे को परमाणु प्रतिष्ठानों की सूची सौंपी, तीन दशक से हर साल हो रहा ऐसा 

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, इस्लामाबाद
Published by: Amit Mandal
Updated Sat, 01 Jan 2022 05:21 PM IST

सार

सूची का आदान-प्रदान कश्मीर मुद्दे के साथ-साथ सीमा पार आतंकवाद को लेकर दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव के बीच हुआ।

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भारत और पाकिस्तान ने शनिवार को अपने परमाणु प्रतिष्ठानों की एक सूची का आदान-प्रदान किया जिन पर दुश्मनी बढ़ने पर हमला नहीं किया जा सकता है। दोनों पड़ोसियों के बीच तीन दशकों से अधिक समय से हर साल सूची का आदान-प्रदान हो रहा है।दोनों देशों ने एक-दूसरे की जेलों में बंद कैदियों की सूची का भी आदान-प्रदान किया, जिसमें नागरिक, रक्षाकर्मी और मछुआरे शामिल हैं।

समझौते पर 31 दिसंबर 1988 को हस्ताक्षर किए गए थे
परमाणु प्रतिष्ठानों और सुविधाओं की सूचियों का आदान-प्रदान परमाणु प्रतिष्ठानों और सुविधाओं के खिलाफ हमलों के निषेध पर समझौते के अनुच्छेद- II के प्रावधानों के अनुसार किया गया था, जिस पर 31 दिसंबर 1988 को हस्ताक्षर किए गए और 27 जनवरी 1991 को इसकी पुष्टि की गई थी। इस समझौते के अनुसार, दोनों देशों को एक दूसरे को परमाणु सुविधाओं के बारे में सूचित करना होगा। सूचियों के आदान-प्रदान की यह प्रथा 1 जनवरी 1992 से जारी है।

सूची का आदान-प्रदान कश्मीर मुद्दे के साथ-साथ सीमा पार आतंकवाद को लेकर दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव के बीच हुआ। पाकिस्तान में परमाणु प्रतिष्ठानों और सुविधाओं की सूची आधिकारिक तौर पर शनिवार को 10.30 बजे विदेश मंत्रालय में भारतीय उच्चायोग के एक प्रतिनिधि को सौंपी गई।

कैदियों की सूची का भी आदान-प्रदान
इसी तरह नई दिल्ली में भारतीय विदेश मंत्रालय ने सुबह 11 बजे पाकिस्तान उच्चायोग के एक प्रतिनिधि को परमाणु प्रतिष्ठानों और सुविधाओं की सूची सौंपी। इसी तरह के आदान-प्रदान में पाकिस्तान ने इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग के साथ पाकिस्तान में 628 भारतीय कैदियों की एक सूची साझा की, जिसमें 577 मछुआरे शामिल थे। भारत सरकार ने एक साथ 282 नागरिकों और 73 मछुआरों सहित भारत में 355 पाकिस्तानी कैदियों की सूची नई दिल्ली में पाकिस्तान के उच्चायोग के साथ साझा की।

विस्तार

भारत और पाकिस्तान ने शनिवार को अपने परमाणु प्रतिष्ठानों की एक सूची का आदान-प्रदान किया जिन पर दुश्मनी बढ़ने पर हमला नहीं किया जा सकता है। दोनों पड़ोसियों के बीच तीन दशकों से अधिक समय से हर साल सूची का आदान-प्रदान हो रहा है।दोनों देशों ने एक-दूसरे की जेलों में बंद कैदियों की सूची का भी आदान-प्रदान किया, जिसमें नागरिक, रक्षाकर्मी और मछुआरे शामिल हैं।

समझौते पर 31 दिसंबर 1988 को हस्ताक्षर किए गए थे

परमाणु प्रतिष्ठानों और सुविधाओं की सूचियों का आदान-प्रदान परमाणु प्रतिष्ठानों और सुविधाओं के खिलाफ हमलों के निषेध पर समझौते के अनुच्छेद- II के प्रावधानों के अनुसार किया गया था, जिस पर 31 दिसंबर 1988 को हस्ताक्षर किए गए और 27 जनवरी 1991 को इसकी पुष्टि की गई थी। इस समझौते के अनुसार, दोनों देशों को एक दूसरे को परमाणु सुविधाओं के बारे में सूचित करना होगा। सूचियों के आदान-प्रदान की यह प्रथा 1 जनवरी 1992 से जारी है।

सूची का आदान-प्रदान कश्मीर मुद्दे के साथ-साथ सीमा पार आतंकवाद को लेकर दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव के बीच हुआ। पाकिस्तान में परमाणु प्रतिष्ठानों और सुविधाओं की सूची आधिकारिक तौर पर शनिवार को 10.30 बजे विदेश मंत्रालय में भारतीय उच्चायोग के एक प्रतिनिधि को सौंपी गई।

कैदियों की सूची का भी आदान-प्रदान

इसी तरह नई दिल्ली में भारतीय विदेश मंत्रालय ने सुबह 11 बजे पाकिस्तान उच्चायोग के एक प्रतिनिधि को परमाणु प्रतिष्ठानों और सुविधाओं की सूची सौंपी। इसी तरह के आदान-प्रदान में पाकिस्तान ने इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग के साथ पाकिस्तान में 628 भारतीय कैदियों की एक सूची साझा की, जिसमें 577 मछुआरे शामिल थे। भारत सरकार ने एक साथ 282 नागरिकों और 73 मछुआरों सहित भारत में 355 पाकिस्तानी कैदियों की सूची नई दिल्ली में पाकिस्तान के उच्चायोग के साथ साझा की।

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