सार
बताया जा रहा है कि बंगाल के बाद और गैर-भाजपा शासित राज्य इस प्रस्ताव का विरोध कर सकते हैं क्योंकि ममता की इस संबंध में पहले ही विपक्ष के कई मुख्यमंत्रियों से बात हो चुकी है। संभावना है कि जल्दी ही तमिलनाडु सरकार भी इसी तरह का विरोध पत्र भेजे।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी mamata banerjee against proposed amendment of IAS (Cadre) Rules 1954
– फोटो : पीटीआई
केंद्र सरकार ने आईएएस (कैडर) नियम, 1954 में संशोधन करने जा रही है। संशोधन के प्रस्ताव को लेकर हाल ही में राज्य सरकारों से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए आईएएस अफसरों की सूची भेजने को कहा गया है। जिसे लेकर विवाद खड़ा हो गया है। इस प्रस्ताव पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कड़ी आपत्ति जताई है। बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार यह संशोधन 31 जनवरी से शुरू होने वाले संसद के आगामी सत्र में पेश करने पर विचार कर रही है। केंद्र ने इसके लिए 25 जनवरी से पहले राज्यों से जवाब मांगा है।
ममता बनर्जी की क्या आपत्ति है?
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने इस संबंध में अपनी आपत्ति दर्ज करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। ममता ने फैसले को वापस लेने का आग्रह करते हुए कहा है, आईएएस अधिकारियों की केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए नियमों में बदलाव से राज्यों का प्रशासन प्रभावित होगा। उन्होंने लिखा यह संशोधन न केवल सहकारी संघवाद की भावना के खिलाफ है, बल्कि आईएएस-आईपीएस अधिकारियों की पदस्थापन के मामले में केंद्र और राज्यों के बीच मौजूदा सौहार्द्रपूर्ण समझौते को प्रभावित करता है।
क्या है आईएएस (कैडर) नियम, 1954
आईएएस नियम कहता है कि केंद्र अधिकारियों की भर्ती करता है, लेकिन जब उन्हें उनके राज्य कैडर आवंटित किए जाते हैं, तो वे राज्य सरकार के अधीन आ जाते हैं। इस तरह संघीय ढांचा काम करता है। आईएएस कैडर नियमों के अनुसार एक अधिकारी को संबंधित राज्य सरकार और केंद्र सरकार की सहमति से ही केंद्र सरकार या किसी अन्य राज्य सरकार के अधीन सेवा के लिये प्रतिनियुक्त किया जा सकता है।
इस नियम के मुताबिक किसी भी असहमति के स्थिति में केंद्र सरकार निर्णय लेती और राज्य सरकार द्वारा केंद्र सरकार के निर्णय को लागू किया जाएगा। केंद्र को अधिक विवेकाधीन अधिकार देने वाले प्रतिनियुक्ति के मामले में यह नियम मई 1969 में जोड़ा गया था।
डीओपीटी ने राज्यों से क्या कहा है?
कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने 12 जनवरी को सभी राज्य सरकारों के मुख्य सचिवों को ‘आईएएस (कैडर) नियम, 1954 में संशोधन के लिए प्रस्ताव’ शीर्षक से लिखे एक पत्र में कहा कि एक अधिकारी जिसे केंद्र प्रतिनियुक्ति पर चाहता है अपने संबंधित कैडर से ‘रिलीफ रहें’, भले ही संबंधित राज्य सरकार इससे सहमत हों या ना हों या एक निश्चित सीमा के भीतर अपनी सहमति न दें।
यह पत्र करीब एक महीने पहले 20 दिसबंर 2021 को राज्यों को भेजे गए पहले के संशोधन प्रस्ताव की अगली कड़ी है। पहले प्रस्ताव में, केंद्र ने राज्य सरकारों से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए आईएएस अफसरों की सूची भेजने को कहा था। पहले के प्रस्ताव में कहा गया कि केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्त किए जाने वाले अधिकारियों की वास्तविक संख्या केंद्र सरकार संबंधित राज्य सरकार के परामर्श से तय करेगी। इस प्रस्ताव में कहा गया कि यदि संबंधित राज्य सरकार असहमत होती है तो इस मामले में केंद्र सरकार फैसला लेगी संबंधित राज्य सरकारें एक निश्चित समय के भीतर केंद्र सरकार के निर्णय पर अमल करेंगी।
हालांकि, हालिया पत्र में मसौदा प्रस्ताव में थोड़ा बदलाव किया गया और कहा गया है ‘विशिष्ट स्थितियों में, जहां केंद्र सरकार को जनहित में कैडर अधिकारियों की सेवाओं की आवश्यकता होगी, केंद्र सरकार ऐसे अधिकारियों की सेवाएं ले सकती है और संबंधित राज्य सरकारें निश्चित समय में इस निर्णय को मानेंगी।
विस्तार
केंद्र सरकार ने आईएएस (कैडर) नियम, 1954 में संशोधन करने जा रही है। संशोधन के प्रस्ताव को लेकर हाल ही में राज्य सरकारों से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए आईएएस अफसरों की सूची भेजने को कहा गया है। जिसे लेकर विवाद खड़ा हो गया है। इस प्रस्ताव पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कड़ी आपत्ति जताई है। बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार यह संशोधन 31 जनवरी से शुरू होने वाले संसद के आगामी सत्र में पेश करने पर विचार कर रही है। केंद्र ने इसके लिए 25 जनवरी से पहले राज्यों से जवाब मांगा है।
ममता बनर्जी की क्या आपत्ति है?
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने इस संबंध में अपनी आपत्ति दर्ज करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। ममता ने फैसले को वापस लेने का आग्रह करते हुए कहा है, आईएएस अधिकारियों की केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए नियमों में बदलाव से राज्यों का प्रशासन प्रभावित होगा। उन्होंने लिखा यह संशोधन न केवल सहकारी संघवाद की भावना के खिलाफ है, बल्कि आईएएस-आईपीएस अधिकारियों की पदस्थापन के मामले में केंद्र और राज्यों के बीच मौजूदा सौहार्द्रपूर्ण समझौते को प्रभावित करता है।
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