शनि देव: मकर और कुंभ राशि के स्वामी शनि तुला राशि में उच्चराशि तथा मेष राशि में नीच राशिगत संज्ञक माने गए हैं।
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मृत्युलोक के दंडाधिकारी भगवान शनि 19 जनवरी की सुबह 7 बजकर 13 मिनट पर अपनी मकर राशि की यात्रा की अवधि में ही पश्चिम दिशा में अस्त हो रहे हैं। पुनः ये 21 फरवरी की सायं 6 बजकर 9 मिनट पर उदय होंगे। इस प्रकार इस बार 33 दिनों के लिए अस्त होने का अशुभ प्रभाव जातकों पर पड़ेगा। जिनकी जन्मकुंडली में शनि शुभकारक भाव में गोचर कर रहे हैं उनके लिए तो यह समाचार अच्छा नहीं है किंतु जिनके लिए अशुभकारक भाव में गोचर कर रहे थे उन्हें इनके दुष्प्रभावों से राहत मिलेगी। कभी भी शनिदेव के अस्त होने से सरकार का प्रशासनिक ढांचा कमजोर पड़ जाता है और अराजकता बढ़ने की संभावना अधिक हो जाती है। मकर और कुंभ राशि के स्वामी शनि तुला राशि में उच्चराशि तथा मेष राशि में नीच राशिगत संज्ञक माने गए हैं। इनके अस्त होने का अन्य राशियों पर कैसा प्रभाव पड़ेगा इसका ज्योतिषीय विश्लेषण करते हैं।
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मेष राशि
राशि से दशम कर्म भाव में गोचर करते हुए अस्त शनि के प्रभावस्वरूप कार्य-व्यापार में कुछ शिथिलता आएगी। अत्यधिक भागदौड़ के कारण खर्च बढ़ सकता है किंतु शासन सत्ता का सहयोग मिलेगा चुनाव से संबंधित कोई निर्णय लेना चाह रहे हो तो उस दृष्टि से भी ग्रह गोचर अनुकूल रहेंगे।
वृषभ राशि
राशि से नवम में भाग्य भाव में अस्त शनि के प्रभावस्वरूप आप जितनी मेहनत करेंगे उतना परिणाम आने समय लगेगा किंतु, यात्रा देशाटन का लाभ मिलेगा। विदेशी कंपनियों में सर्विस अथवा नागरिकता के लिए किया गया प्रयास सफल रहेगा। आपके साहस और शौर्य की सराहना होगी।
मिथुन राशि
राशि से अष्टम आयु भाव में अस्त हुए शनिदेव आपके लिए राहत भरी खबरें लाएंगे स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। काफी दिनों से चली आ रही कार्य बाधा भी समाप्त होगी। इस अवधि के मध्य कोई भी बड़े से बड़ा कार्य आरंभ करना हो अथवा किसी नए अनुबंध पर हस्ताक्षर करना हो तो निर्णय लेने में विलंब न करें।
कर्क राशि
राशि से सप्तम दांपत्य भाव में अस्त हुए शनिदेव आपके लिए भी राहत की खबर लाएंगे। विवाह संबंधी वार्ता सफल रहेगी। ससुराल पक्ष से भी सहयोग मिलेगा। कोई भी नया कार्य आरंभ करना हो तो उस दृष्टि से भी सुखद अनुभूति रहेगी। केंद्र अथवा राज्य सरकार के विभागों में प्रतीक्षित कार्य संपन्न होंगे।